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Monday 31 December 2007

यादें..चंद हसीन लम्हों की!

यादें..चंद हसीन लम्हों की!


आ गए है एक ऐसी जगह कि....
रास्ते सभी बंद नज़र आ रहे है !
पीछे भी नही मुड़ सकते अब तो,

यहीं कबसे रुके हुए है!

यह एक मकान है ऐसा,
न यहाँ खिड़की है न दरवाज़ा कोई...
है अजीबसी खुशबू का एहसास,
मानों कोई बहका रहा है!

मीठी आवाज़ की गुन-गुनाहट,
कौन घोल रहा है कानों में...
छू कर जा रही है सर्द हवाएँ,
न जाने ऐसा क्या यहाँ है!

ये हमें रोकने की कोशिश है,
या कुछ कहने का फरमान?
या हमसे कुछ पाने की उम्मीद,
...लिए ही कोई यहाँ है!

क्या कुछ छिन लेगा कोई हमसे...
चंद हसीन लम्हों की,
मीठी, गुद-गुदाती यादों के सिवा...

पास कुछ भी तो नहीं हमारें,

इन्हीं यादों के सहारे तो'ऐ दोस्त!
हमें उम्र यहाँ गुजारना गवां है!

1 comments:

ZEAL said...

very nice creation..